29 Dec 2013

भारत माता का घर, एक शिक्षाप्रद कहानी

भारत माता ने अपने घर में जन-कल्याण का जानदार आँगन बनाया। उसमें शिक्षा की शीतल हवा, स्वास्थ्य का निर्मल नीर, निर्भरता की उर्वर मिट्टी, उन्नति का आकाश, दृढ़ता के पर्वत, आस्था की सलिला, उदारता का समुद्र तथा आत्मीयता की अग्नि का स्पर्श पाकर जीवन के पौधे में प्रेम के पुष्प महक रहे थे।

सिर पर सफ़ेद टोपी लगाये एक बच्चा आया, रंग-बिरंगे पुष्प देखकर हर्षाया। पुष्प पर सत्ता की तितली बैठी देखकर उसका मन ललचाया, तितली को पकड़ने के लिए हाथ बढाया, तितली उड़ गयी। बच्चा तितली के पीछे दौड़ा, गिरा, रोते हुए रह गया खड़ा।

कुछ देर बाद भगवा वस्त्रधारी दूसरा बच्चा खाकी पैंटवाले मित्र के साथ आया। सरोवर में खिला कमल का पुष्प उसके मन को भाया, मन ललचाया, बिना सोचे कदम बढाया, किनारे लगी काई पर पैर फिसला, गिरा, भीगा और सिर झुकाए वापिस लौट गया।

तभी चक्र घुमाता तीसरा बच्चा अनुशासन को तोड़ता, शोर मचाता घर में घुसा और हाथ में हँसिया-हथौडा थामे चौथा बच्चा उससे जा भिड़ा। दोनों टकराए, गिरे, काँटे चुभे और वे चोटें सहलाते सिसकने लगे।

हाथी की तरह मोटे, अक्ल के छोटे, कुछ बच्चे एक साथ धमाल मचाते आए, औरों की अनदेखी कर जहाँ मन हुआ वहीं जगह घेरकर हाथ-पैर फैलाये। धक्का-मुक्की में फूल ही नहीं पौधे भी उखाड़ लाये।

कुछ देर बाद भारत माता घर में आयीं, कमरे की दुर्दशा देखकर चुप नहीं रह पायीं, दुःख के साथ बोलीं- ‘मत दो झूटी सफाई, मत कहो कि घर की यह दुर्दशा तुमने नहीं तितली ने बनाई। काश तुम तितली को भुला पाते, काँटों को समय रहते देख पाते, मिल-जुल कर रह पाते, ख़ुद अपने लिये लड़ने की जगह औरों के लिए कुछ कर पाते तो आदमी बन जाते।

अभी भी समय है... बड़े हो जाओ...
आदमीं बन जाओ।




स्वामी विवेकानंद के सुविचार




  • उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाये.

Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद


  • एक शब्द में, यह आदर्श है कि तुम परमात्मा हो.
Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद

  • उस व्यक्ति ने अमरत्त्व प्राप्त कर लिया है, जो किसी  सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता.
Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद

  • बाहरी  स्वभाव  केवल  अंदरूनी   स्वभाव  का  बड़ा  रूप  है .
Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद


  • जब तक आप खुद पे विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पे विश्वास नहीं कर सकते.

 Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद

  • सत्य को हज़ार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा.

Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद


  • विश्व एक व्यायामशाला है  जहाँ हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं.

Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद


  • इस दुनिया में सभी भेद-भाव किसी स्तर के हैं, ना कि प्रकार के, क्योंकि एकता ही सभी चीजों का रहस्य है.
Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद

  • हम जितना ज्यादा बाहर जायें और दूसरों का भला करें, हमारा ह्रदय उतना ही शुद्ध होगा , और परमात्मा उसमे बसेंगे.

Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद


  • तुम  फ़ुटबाल  के  जरिये  स्वर्ग  के  ज्यादा  निकट  होगे  बजाये  गीता  का  अध्ययन  करने  के .

Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद

  • दिल  और  दिमाग  के  टकराव  में  दिल  की  सुनो .

Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद

  • किसी  दिन  , जब  आपके  सामने  कोई   समस्या  ना  आये  – आप  सुनिश्चित  हो  सकते  हैं  कि  आप  गलत  मार्ग  पर  चल  रहे  हैं .

Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद

  • स्वतंत्र  होने  का  साहस  करो . जहाँ  तक  तुम्हारे  विचार  जाते  हैं  वहां  तक  जाने  का  साहस  करो , और  उन्हें  अपने  जीवन  में  उतारने  का  साहस  करो .
Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद

  • किसी  चीज  से  डरो मत . तुम  अद्भुत  काम  करोगे . यह  निर्भयता  ही  है  जो   क्षण  भर  में  परम  आनंद  लाती  है .
Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद


  • मनुष्य   की  सेवा   करो . भगवान  की  सेवा  करो .
Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद


  • मस्तिष्क   की  शक्तियां  सूर्य  की  किरणों  के  समान  हैं . जब  वो  केन्द्रित  होती  हैं ; चमक  उठती  हैं .
Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद


  • आकांक्षा , अज्ञानता , और  असमानता  – यह  बंधन  की  त्रिमूर्तियां  हैं .
Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद


  • यह  भगवान  से  प्रेम  का  बंधन  वास्तव  में ऐसा है  जो  आत्मा  को  बांधता  नहीं  है  बल्कि  प्रभावी  ढंग  से  उसके  सारे  बंधन  तोड़  देता  है .
Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद


  • कुछ  सच्चे , इमानदार  और  उर्जावान  पुरुष  और  महिलाएं ;  जितना  कोई  भीड़  एक  सदी  में  कर  सकती  है  उससे  अधिक  एक  वर्ष  में  कर  सकते  हैं .
Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद


  • जब  लोग  तुम्हे  गाली  दें  तो  तुम  उन्हें  आशीर्वाद  दो . सोचो  , तुम्हारे  झूठे  दंभ  को  बाहर निकालकर  वो  तुम्हारी  कितनी  मदद  कर  रहे  हैं .
Swami Vivekananda स्वामी विवेकानं


  • खुद  को  कमजोर  समझना  सबसे  बड़ा  पाप  है .
Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद


  • धन्य   हैं  वो  लोग  जिनके  शरीर  दूसरों  की  सेवा  करने  में  नष्ट   हो  जाते  हैं .
Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद


  • श्री  रामकृष्ण   कहा  करते  थे ,” जब  तक  मैं  जीवित  हूँ , तब  तक  मैं  सीखता  हूँ  ”. वह  व्यक्ति  या  वह  समाज  जिसके  पास  सीखने  को  कुछ  नहीं  है  वह  पहले  से  ही  मौत  के  जबड़े  में  है .
Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद