कैसे रखता हूँ मैं खुद को Positive ?
दोस्तों आज मैं आपके साथ एक बड़ी ही interesting और important बात share कर रहा हूँ. एक ऐसी छोटी सी बात जिसने मेरे thought process को improve करने और positive बनाने में बहुत मदद की है.
मुझे पूरी उम्मीद है कि ये आपके लिए भी उतना ही लाभदायक होगा. ऐसा मैं इसलिए भी कह पा रहा हूँ कि क्योंकि इसे समझना बहुत ही simple है. और इसे practically apply करना भी आसान है.
बात जनवरी 2010 की है मैं तब गोरखपुर में था. चूँकि मुझे नयी-नयी books पढने का शौक है , मैं एक दूकान में ऐसी ही कोई book खोज रहा था, तभी David J. Schwartz की लिखी हुई किताब ,” The Magic of Thinking Big” मुझे नज़र आई. दो -चार पन्ने पलटने के बाद मैं समझ गया कि इसमें दम है और मैंने वो book खरीद ली.
वैसे तो इसमें मैंने कई लाभप्रद बातें पढ़ीं पर एक बात मेरे दिमाग में घर कर गयी और आज मैं उसी के बारे में बता रहा हूँ.
हमारा दिमाग विचारों का निर्माण करने वाली एक फैक्ट्री है . इसमें हर वक़्त कोई ना कोई thought बनती रहती है. और इस काम को कराने के लिए हमारे पास दो बड़े ही आज्ञाकारी सेवक हैं और साथ ही ये अपने काम में माहिर भी हैं . आप कभी भी इनकी परीक्षा ले लीजिये ये उसमे सफल ही होंगे . आइये इनका परिचय कराता हूँ-
पहले सेवक का नाम है- Mr. Triumph या मिस्टर विजय
दुसरे सेवक का नाम है- Mr. Defeat या मिस्टर पराजय
Mr . विजय का काम है आपके आदेशानुसार positive thoughts का निर्माण करना. और Mr. पराजय का काम है आपके आदेशानुसार negative thoughts का निर्माण करना. और ये सेवक इतने निपुण हैं कि ये आपके इशारे के तुरंत समझ जाते हैं और बिना वक़्त गवाएं अपना काम शुरू कर देते हैं.
Mr. विजय इस बात को बताने में में specialize करते हैं कि आप चीजों को क्यों कर सकते हैं?, आप क्यों सफल हो सकते हैं?
Mr. पराजय इस बात को बताने में specialize करते हैं कि आप चीजों को क्यों नहीं कर सकते हैं?,आप क्यों असफल हो सकते हैं?
जब आप सोचते हैं कि मेरी life क्यों अच्छी है तो तुरंत Mr. विजय इस बात को सही साबित करने के लिए आपके दिमाग में positive thouhts produce करने लगते है, जो आपके अब तक के जीवन के अनुभवों से निकल कर आती है . जैसे कि-
- मेरे पास इतना अच्छा परिवार है.
- मुझे चाहने वाले कितने सारे अच्छे लोग हैं .
- मैं well settled हूँ, financially इतना सक्षम हूँ कि खुश रह सकूँ .
- मैं जो करना चाहता हूँ वो कर पा रहा हूँ.
- etc.
इसके विपरीत जब आप सोचते हैं कि मेरी life क्यों अच्छी नहीं है ,तो तुरंत Mr. पराजय इस बात को सही साबित करने के लिए आपके दिमाग में negative thoughts produce करने लगते है. जैसे कि-
- मैं अपनी life में अभी तक कुछ खास नहीं achieve कर पाया
- मेरी नौकरी मेरी काबलियत के मुताबिक़ नहीं है
- मेरे साथ हमेशा बुरा ही होता है.
- etc.
ये दोनों सेवक जी जान से आपकी बात का समर्थन करते हैं . अब ये आपके ऊपर depend करता है कि आप इसमें से किसकी services लेना चाहते हैं . इतना याद रखिये कि इनमे से आप जिसको ज्यादा काम देंगे वो उतना ही मजबूत होता जायेगा और एक दिन वो इस फैक्ट्री पर अपना कब्ज़ा कर लेगा, और धीरे-धीरे दुसरे सेवक को बिलकुल निकम्मा कर देगा.अब आप को decide करना है कि आप किसका कब्ज़ा चाहते हैं- मिस्टर विजय का या मिस्टर पराजय का?
यदि life को improve करना है तो जितना अधिक हो सके thoughts produce करने का काम Mr. विजय को ही दीजिये . यानि positive self talk कीजिये . नहीं तो अपने आप ही Mr. पराजय अपना अधिकार जमा लेंगे.
मैंने कई बार is simple but effective technique का use किया है. मैं अपने thoughts पर हमेशा नज़र रखता हूँ और जैसे ही negative thoughts का production बढ़ने लगता है मैं तुरंत Mr. विजय को काम पर लगा देता हूँ, यानि मैं कुछ ऐसे statements खुद से बोलता हूँ जो positive thoughts की chain बना देते हैं और मैं वापस track पर आ जाता हूँ.
For example: जब मुझे लगता है कि मेरी personal relationships में तनाव आ रहा है तो मैं खुद से कहता हूँ कि भगवान ने मुझे कितना प्यार करने वाले लोग दिए हैं. और बस आगे का काम मिस्टर विजय कर देते हैं. वो personal relationships से related मेरे सुखद अनुभव को मेरे सामने गिनाने लगते हैं और कुछ ही देर में मेरा mood बिलकुल सही हो जाता है. और जब mood सही हो जाता है तो वो मेरे actions में भी reflect करने लगता है.फिर तो सामने वाला भी ज्यादा देर तक नाराज़ नहीं रह पाता और जल्द ही सारी खटास निकल जाती है और फिर सब अच्छा लगने लगता है.
Thoughts को positive रखने का ये एक बहुत ही practical तरीका है. बस आपको जब भी लगे कि आपके ऊपर negativity हावी हो रही है तो तुरंत उस विचार के विपरीत विचार मन में लाइए. जैसे कि यदि आपके मन में विचार आता है कि आप काबिल नहीं हैं तो तुरन्त इसका उल्टा प्रश्न Mr. विजय से कीजिये कि ,” Mr. Vijay बताइए मैं काबिल क्यों हूँ?” और आप पायेंगे कि आपका ये सेवक आपके सामने उन अनुभवों को रखेगा जिसमे आपने कुछ अच्छा किया हो, for example, आपने कभी कोई prize जीता हो, किसी की मदद की हो, कोई ऐसी कला जिसमे आप औरों से बेहतर हों,etc.
बस इस बात का ध्यान रखियेगा कि आप स्वयं से जो प्रश्न कर रहे हैं वो सकारात्मक हो नकारात्मक नहीं.
आप भी इसे try कर के देखिये. अपने thoughts पर नज़र रखिये , और जब आपको लगे कि मिस्टर पराजय कुछ ज्यादा ही सक्रीय हो रहे हैं तो जल्दी से कुछ positive self talk कीजिये और मिस्टर विजय को काम पर लगा दीजिये.
Thanks . I hope it works for you.
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निवेदन : कृपया अपने comments के through बताएं की ये Hindi Article आपको कैसा लगा .
1 comment:
zindagi ki ABCD. Sach article bahut acha laga. Aaj ki jindagi main itni tension insaan ko rehti hai ki uski thinking negative hone ka chance bahut rehta hai lekin aap jaise insaano ke article bhut kaam kar jaate hain. Ek sachi seva isi ko kehte hain jo doosron ko bhi sahi raasta dikhata hai. kai insaanon ki jindagi sahi raah par aa jaati hai. Mujhe bhi negative thoughts ki bimari hai lekin main poori koshish karti rehti hoon ki esa naa ho. lekin situation hi esi ho jaati hai. Article sach main kaabile tarrif hai. Esa article kitne insaano ko sahi raah dikhaega. Sach main aap jaise insaan jo ese article or apna anubhav likhte hain sahi main es SACHI SEVA HAI OR BHAGWAN BHI BAHUT KHUSH HOTA HAI.
KEEP IT UP
BEDI SURINDER KAUR
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